इस राजनीति के चक्कर में बस गरीब पिसा जा रहा है
( The poor are just being crushed under the influence of this Politics. )
कहीं भूख से,
कहीं प्यास,
कहीं बसो से कुचला जा रहा है...
इस राजनीति के चक्कर मे बस गरीब पिसा जा रहा है...
वो कहते है आत्मनिर्भर बनों,
अब इससे ज्यादा क्या बने ...
कोई पैदल तो,
कोई साइकल,
कोई ट्रकों से चला जा रहा है...
इस राजनीति के चक्कर में बस गरीब पिसा जा रहा है...
इस चिठ्ठी वाली राजनीत से बस समय खपाया (Waste) जा रहा है...
किसी को हजार,
किसी को लाख,
किसी को करोड़ों का बजट दिया जा रहा है...
जिसे जरूरत है इन जरूरतो की,
उन्हें तो बस चिठ्ठी आे में लपेटा जा रहा है...
इस राजनीति के चक्कर में बस गरीब पिसा जा रहा है,
बस गरीब पिसा जा रहा है...
लेखक ~ Nitesh Kumar Agrahari
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